tomato prices on fire
देश भर के कस्बों और शहरों में पिछले कुछ दिनों से टमाटर की खुदरा कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, और जब टमाटर की कीमत में वृद्धि हो रही है और दिन दोगुनी रात चौगुनी वृद्धि देखी जा रही है, पहले ही लगभग कई क्षेत्रों में ₹80 किलो था, फिर ₹100, फिर अब ये मात्रा बढ़कर ₹120 किलो तक हो गई है, ऐसे में आम जनता इससे परेशान हो रही है और सबसे बड़ी बात है मंडी के स्तर पर लेकर खाद्य उत्पादन को लेकर कि आखिर जो खाद्य उत्पादन हो रहा है कहीं ना कहीं उसमें टमाटर की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि इससे सॉस वगैरह भी तैयार किए जाते हैं। तो जब इनका उत्पादन ही नहीं होगा तो हम जो सॉस वगैरह तैयार करते हैं, उसमें भी कमी देखी जाएगी तो कहीं ना कहीं ये अन्य चीजों में भी प्रभाव छोड़ेगा।
लगातार इसकी कीमत में वृद्धि हो रही है सामने निकलकर बात ये है आती है की क्या भविष्य में इसमें गिरावट होने की संभावना है?
टमाटर के दामों मे वृद्धि
दरअसल इसकी जानकारी ना तो व्यापारियों के पास है और ना ही उत्पादकों के पास, आने वाले समय में इसकी कीमतों में गिरावट होगी या नहीं, इसका कारण बताया जा रहा है कि अप्रैल मई में अचानक इसके उत्पादन में गिरावट हुई। अचानक इसके उत्पादन में गिरावट की वजह से ही इसकी कीमतों में उछाल आ रहा है और यह भी बताया गया कि कई उत्पादकों ने अपनी फसलें ज्यों की त्यों छोड़ दी l तो जब उन्होंने अपनी फसलों को खेत में ही छोड़ दिया तो उसका जो उत्पादन था जो बाजार तक या मंडी तक पहुंचती, वे फसलें मंडी तक नहीं पहुंचे। यानी कहीं ना कहीं आपूर्ति में भी बाधा हुई। अब उन्होंने अपनी फसल को खेत में छोड़ दिया क्योंकि उस समय यदि अप्रैल या मार्च की बात करें तो उस समय टमाटर का मूल्य 2.25 किलो से लेकर ₹5 किलो तक था, जो मेहनत उन्हे समान लाने ले जानेमे लगती थी वे भी वसूल नहीं कर प रहे थे, इसलिए उन्होंने टमाटर की फसलों को खेत में ही छोड़ दिया। जिसकी वजह से अब जो आपूर्ति होने वाली थी, इन माह तक यानी जुलाई या जून तक वे आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई। इसकी वजह से लगातार इसके मूल्य में वृद्धि हो रही है । मार्च और अप्रैल की असामान्य गर्मी से कीटों के हमले भी हुए हैं, जिसकी वजह से उत्पादन पर भी असर पड़ा l
भारत में टमाटर की दो प्रमुख फसलें
यदि रबी की फसल की बात करें तो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका और कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों में टमाटर की फसलें उगाई जाती है, तथा इन्हे मार्च ओर अगस्त के बीच बाजार में लाया जाता है l लेकिन इस वर्ष गर्मियों में कीटों की मार के करना टमाटर के उत्पादन में कमी के कारण आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जा सकी इसी वजह से इसके मूल्य में वृद्धि देखि जा रही है l
खरीब फसल के रूप में अगस्त के बाद बाजार में टमाटर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों से आते है लेकिन पिछले उत्पादन में कमी की डर से किसानों ने इसमे भी उत्पादन कम रखा है l
टमाटर के उत्पादन के लिए लगभग 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि रबी फसल के अंतर्गत तथा औसतन लगभग 8-9 लाख हेक्टेयर भूमि खरीब फसल के अंतर्गत आरक्षित रखी गई थी और लगातार इनमें भी कमी के कारण उत्पादन में गिरावट देखि जा रही है l
टमाटर की खेती कहा क्षेत्र घट गया है दक्षिण भारत में अत्यधिक गर्मी के कारण लीफ कर्ल वाइरस ने टमाटर के फसलों को काफी नुकसान पहुचाया है l निकट भविष्य में कीमतों में कमी की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है क्यों पर्याप्त उत्पादन ही नहीं हो पाया है लेकिन अगली फसल की मानसून के बाद रोपाई की जाती है तो अधिक उत्पादन के बाद इस इस समस्या से निदान पाया जा सकता है l